कोरोना का ईलाज Treatment of Corona

इस पोस्ट को लिखने के पीछे मेरा केवल एक धेय है मैं कोविड पॉजिटिव से नेगेटिव होने तक के अपने अनुभव को लोगों के साथ साझा कर सकूं जिससे दूसरों की मदद हो सके. लेकिन मैं एक बात स्पष्ठ कर देना चाहता हूँ की मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ, और न ही इस पोस्ट के माध्यम से मैं किसी को कोरोना के ईलाज के सम्बन्ध में कोई सलाह दे रहा हूँ. हर किसी का शरीर अलग होता है तथा एक ही बीमारी अलग अलग लोगों के साथ अलग अलग तरह से व्यवहार करती है. इसलिए कृपया इस पोस्ट को केवल मेरा अनुभव ही समझे और उससे ज्यादा कुछ भी नहीं. हाँ एक व्यक्तिगत सलाह जरूर देंगे की यदि आपको जरा भी आशंका है की आप कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं तो बिना देरी के अपना टेस्ट करवाएं एवं डॉक्टर से उचित सलाह ले कर ही कोई भी काम करें.

मेरे लिए कोरोना पॉजिटिव होना एक आम इंसान के कोरोना पॉजिटिव होने से बहुत ज्यादा खतरनाक था क्योकि मैं अपने लीवर ट्रांसप्लांट के बाद से immunosuppressive दवाएं लेता हूँ जो मेरे शरीर के रोग से लड़ने की क्षमता को कमजोर रखता है. जहाँ कोरोना के ईलाज के लिए सभी डॉक्टर केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना ही इस महामारी का ईलाज बताते हैं वहीँ मजबूरन मैं अपनी रोक प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने की दावा लेता था. और इस दवा के लेने की वजह से मुझे ये मालूम था की मेरे लिए कोरोना से लड़ना किसी दुसरे आम इन्सान की तुलना में थोडा कठिन होने वाला था. कोरोना जांच की रिपोर्ट आने के पहले ही मुझे इस बात का अंदाज़ हो चूका था की मैं कोरोना पॉजिटिव था क्योकि मेरे सूंघने की शक्ति बिल्कुल क्षीण हो चुकी थी.

जैसे ही मुझे ये अहसाह हुआ था मैं कोरोना पॉजिटिव हो सकता हूँ मैंने सर्वप्रथम अपने आपको बाकी के परिवार के सदस्यों से पूरी तरह से अलग कर लिया था. जब रिपोर्ट आ गयी उसके बाद सबसे पहले मैंने अपने लीवर के डॉक्टर को ILBS हॉस्पिटल में सूचना दी. उन्होंने बोला की immunosuppressive दवाएं बंद कर दो क्योकि कोरोना के ईलाज में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी चाहिए और मेरी दवाएं उसको कमजोर रखने के लिए हैं. ये मेरे लिए बहुत विचित्र स्थिति थी क्योकि यदि immunosuppressive दवाएं बंद होती हैं तो मेरे ट्रांसप्लांट हुए लीवर के लिए घातक है और यदि वो दवाएं लेते रहे तो कोरोना के ईलाज के लिए घातक.

उन्होंने मुझे कोरोना के ईलाज से सम्बंधित कुछ दवाएं भी दी. मेरे डॉक्टर का कहना था की कोरोना के लिए कोई विशेष दवा नहीं बनी है, व्यक्ति का खुद का शरीर ही कोरोना से लड़ता है. साथ में जो दवाएं दी जाती हैं वो केवल शरीर की आधारभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए दी जाती हैं जैसे मल्टीविटामिन, जिंक और विटामिन C. मुझे मात्र यही 3 दवाएं दी गयी थी, इसके अलावा कुछ भी नहीं. इसके साथ में मुझे दूध-हल्दी, दिन में कम से कम 4 बार भाप लेना, प्राणायाम, सांस लेने से सम्बंधित दूसरे व्यायाम और स्पाईरोमीटर से दिन में 3-4 बार व्यायाम करने के लिए बोला गया. साथ में अपना पल्स रेट और ऑक्सीजन लेवल भी देखते रहने को बोला गया.

मेरे डॉक्टर ने बोला की घर पर आराम करना है, संतुलित भोजन करना है और यदि सांस लेने में तकलीफ होती है तो तुरंत किसी पास के कोविड हॉस्पिटल में एडमिट हो जाना है. डॉक्टर ने ये भी बोला की यदि ऑक्सीजन लेवल 95 से नीचे होता है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. मुझे ऑक्सीजन लेवल का अंदाज़ पहले से था क्योकि अपने लीवर के ईलाज के समय मैं काफी समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर था और मुझे इस बात का अंदाज़ था की अगर ऑक्सीजन लेवल 90 तक भी पहुच जाता है तो उसमे हॉस्पिटल की तुरंत जरूरत नहीं है. इसके अलावा कुछ स्वास से सम्बंधित व्यायाम भी मुझे काफी पहले से मालूम थे जिसको करने से शरीर का ऑक्सीजन लेवल बढाने में मदद मिलती है जैसे की Proning या कुछ योग एवं प्राणायाम.

प्रोनिंग एक प्रकार की बैठने, लेटने और सांस लेने की विशेष अवस्था है जिसके द्वारा ज्यादा से ज्यादा सांस फेफड़ों में भरी जा सके ताकि शरीर का ऑक्सीजन लेवल बना रहे. प्रोनिंग और योग द्वारा ऑक्सीजन लेवल बढाने की प्रक्रिया लगभग एक सी ही है बस करने का तरीका थोडा अलग है. प्रोनिंग में भी एक विशेष अवस्था में बैठ कर या लेट कर फेफड़ों में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन भरने की बात की जाती है और योग प्राणायाम तो पूरी तरह से सांस भरने और छोड़ने पर आधारित प्रक्रिया है. लेकिन इनमे से किसी को भी करने के पहले मुझे ऐसा लगता है की किसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. योग प्राणायाम से ऑक्सीजन लेवल बनाये रखने के लिए बाबा रामदेव भी कई आसनों और प्राणायाम बताते हैं जिसको इस विडियो में देख सकते हैं-

मेरे पॉजिटिव होने के कुछ दिन बाद से एक एक कर के मेरे घर के सभी सदस्य कोविड पॉजिटिव हो गए और हम सभी लोगों ने वहीँ दवाइयां ली जो मेरे डॉक्टर ने मुझे बताई थी और वही दिनचर्या का पालन किया जैसा डॉक्टर ने बोला था. मेरे बड़े भाई ने बनारस के किसी डॉक्टर के द्वारा बताई गयी दवाइयां ली थी जो मेरे दवाइयों से थोड़ी अलग थी. बनारस में डॉक्टर मल्टी विटामिन, जिंक, विटामिन C के साथ में Doxycycline, Montelukast and Fexofenadine और Ivermectin भी दे रहे थे जबकि मैंने केवल मल्टीविटामिन, जिंक और विटामिन C ही लिया था. अंततः 15 दिन बाद मैंने अपना RT PCR टेस्ट करवाया और रिपोर्ट नेगेटिव आ गई और एक एक कर के परिवार के सभी सदस्य भी नेगेटिव हो गए.

पॉजिटिव से नेगेटिव होने के इस दौर में जो महत्वपूर्ण बातें नोटिस किया जिससे मुझे बहुत मदद मिली वो थी-

  • जैसे ही शंका हुआ मैंने तुरंत अपना टेस्ट करवा लिया जिससे की मुझे ये पता चल गया की मुझे कोविड का इन्फेक्शन है जिससे मुझे मेरा ईलाज सही समय पर शुरू करने में मदद मिली. आज सभी का ये मानना है की यदि कोविड के इन्फेक्शन का पता सही समय पर चल जाये तो इससे लड़ाई आसान हो जाती है. नहीं तो अगर ये इन्फेक्शन बढ़ गया तो फिर दुनिया जानती है की इसकी कोई दवा नहीं है. इसलिए अगर जरा सा भी शंका हो की कोविड का इन्फेक्शन हो सकता है तो तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए और डॉक्टर के निर्देशन में अपना ईलाज शुरू कर देना चाहिए.
  • अपने आपको सबसे अलग कर लेना और घर पर भी रहना बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि कोविड शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है और यदि उस समय कोई घर के बाहर आता जाता है या दूसरे व्यक्तियों के संपर्क में आता है तो उसे दूसरा इन्फेक्शन भी आने का खतरा होता है और साथ ही साथ वो अपना इन्फेक्शन दूसरे को भी दे देता है क्योकि कोरोना बहुत ही जबरदस्त संक्रामक वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फ़ैल जाता है. कई वैज्ञानिक तो यहाँ तक बोल रहे है की ये हवा से फैलने वाला वायरस है इसलिए अपने आपको आइसोलेट कर लेने में ही समझदारी है.
  • भाप लेना बहुत मदद किया – मेरे डॉक्टर ने मुझे दिन में 3-4 बार भाप लेने के लिए बोला था जिसका मुझे बहुत फायदा महसूस हुआ. शायद इसी वजह से मुझे खांसी या खरास की दिक्कत नहीं हुई. भाप लेने के लिए शुरू के 2-3 दिन मैंने घर पर ही बड़े बर्तन में पानी गर्म कर के भाप लिया लेकिन उसके बाद एक छोटी मशीन खरीद लिया जिससे काम और आसान हो गया. भाप लेने सम्बंधित भी कुछ नियम है जिसका पालन करना चाहिए.
  • स्पाईरोमीटर – स्पाईरोमीटर एक छोटा सा यन्त्र होता है जिसका इस्तेमाल फेफड़ों और सांस सम्बंधित व्यायाम करने के लिए किया जाता है. इसमें बंद चौकोर डिब्बे में 3 बाल होती हैं जिससे एक पाइप जुडी होती है. उसी पाइप से सांस अन्दर खीचने पर वो बालें ऊपर की और उठती हैं. जितनी जोर से सांस खींचा जायेगा उतनी ज्यादा बाल ऊपर उठती है. ये फेफड़ों के लिए बहुत ही बेहतरीन व्यायाम है. मेरे डॉक्टर ने मुझे ये व्यायाम दिन में 4-5 बार करने के लिए बोला था.
  • दूध हल्दी का सेवन करना हमेशा से ही अच्छा माना गया है जिसको आयुर्वेद और अंग्रेजी डॉक्टर दोनों लोग मान्यता देते हैं. दूध हल्दी से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है जो की कोरोना से लड़ने का एकमात्र उपाय है. इसका सेवन करने की सलाह भी मुझे मेरे डॉक्टर ने दिया था. इसके साथ में हल्का, सुपाच्य और स्वास्थ्कारी भोजन (घर का बना हुआ ज्यादा तेल, घी, मसाले वाला नहीं) करने की सलाह दी गयी थी.

कुल मिलाजुला कर मेरा अनुभव ये रहा की यदि कोरोना का इन्फेक्शन सही समय पर पता चल जाये और यदि व्यक्ति डॉक्टर की सलाह माने तो इस इन्फेक्शन को ख़त्म करने में बहुत मदद मिल सकती है. इसलिए यदि जरा सी भी शंका हो तो तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए. दूसरी बहुत महत्वपूर्ण बात ये की इस इन्फेक्शन को लेकर घबराना नहीं चाहिए. मैंने देखा है की लोग कोरोना का नाम सुनते ही बहुत ज्यादा डर जाते हैं. जहाँ तक हो सके सकारात्मक रहने का प्रयास करना चाहिए, घर पर हैं तो अपने पसंद की फिल्म देखिये, किताबें पढ़िए….कोई भी काम जो बिना किसी दूसरे से मिले जुले हो सकता है. जहाँ तक हो सके हॉस्पिटल से दूरी बनाने में ही समझदारी है.

मुझे ऐसा लगता है की यदि मेरे जैस आदमी जिसका मात्र 5 महीने पहले लीवर ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो immunosupressive दवाएं लेता हो अगर वो इस वायरस को परास्त कर सकता है तो कोई भी व्यक्ति सही निर्णय लेकर कोरोना को परास्त कर सकता है. जैसा की मैंने शुरू में लिखा है की ये लेख मेरा व्यक्तिगत अनुभव मात्र है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ ना ही मुझे कोरोना या उससे सम्बंधित कोई वैज्ञानिक जानकारी है. इसलिए इस लेख को एक सच्ची कहानी से ज्यादा कुछ भी न समझे. कुछ भी परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनके निर्देशानुसार ही अपना इलाज करें.

वाराणसी में कोरोना टेस्ट Corona test in Varanasi

कोरोना महामारी को शुरू हुए अब लगभग एक साल से ज्यदा बीत गया है और भाग्यवश मैं इस वर्ष मार्च तक इस इन्फेक्शन से बचा ही रहा लेकिन अंततः 18 मार्च को मैं भी Covid पॉजिटिव हो ही गया. जबसे कोविड आया है तबसे अमूमन लोग सफ़र करने से बच रहे हैं लेकिन मुझे लीवर ट्रांसप्लांट के बाद से रेगुलर फॉलोअप के लिए महीने में एक बार ILBS हॉस्पिटल, दिल्ली जाना ही होता है. मार्च में मेरा फॉलोअप 17 तारीख को था जिसके लिए मैं 15 तारीख को ही दिल्ली पहुच गया था. बनारस से दिल्ली का सफ़र मैंने ट्रेन से तय किया था और 15 तारीख को ही हॉस्पिटल में अपना कोविड का जांच करवा लिए थे जिसमे मेरी रिपोर्ट नेगेटिव थी तथा ये रिपोर्ट 3 दिन के लिए मान्य होती है. बिना कोविड नेगेटिव की रिपोर्ट के कोई भी ILBS में डॉक्टर से नहीं मिल सकता है.

अंततः मैं 17 तारीख को अपने डॉक्टर से मिल कर 18 तारीख को बनारस वापस आ गया. उस समय तक मुझे कोई परेशानी नहीं थी. 18 तारीख को मुझे कुछ जरूरी काम होने की वजह से दिन भर बहुत ज्यादा व्यस्तता थी और मैं बिना किसी दिक्कत परेशानी के दिन भर काम किया. अंततः शाम को खाना बनाते मैंने एक बात नोटिस किया की उस रोज मुझे सब्जी में से मसलों की कोई सुगंध नहीं आ रही थी एक बार तो मैंने सोचा की शायद मैं सब्जी में मसाला डालना ही भूल गया जिसकी वजह से सब्जी में कोई सुगंध नहीं है लेकिन फिर मैंने सोचा की अगर मैंने मसाला नहीं भी डाला है तो भी कोई तो सुगंध होनी चाहिए. मैंने कई बार सब्जी का सुगंध लेनें का कोशिश किया लेकिन मैं कुछ भी सूंघ नहीं सकता था.

उसके बाद मैंने परफ्यूम सूंघने का कोशिश किया लेकिन मेरे लिए उसमे भी कोई सुगंध नहीं था. फिर उसके बाद अपने कमरे में रूम फ्रेशनर छिड़क कर देखे लेकिन उसमे भी कोई सुगंध नहीं था. तब मैंने सोचा की शायद ट्रेन में सफर के दौरान मुझे सर्दी-जुकाम हो गया है जिसके लिए मैंने गर्म पानी में विक्स मिला कर भाप लेने का कोशिश किया लेकिन तब भी वही परिणाम – मुझे गर्म पानी में मिले विक्स तक की सुगंध नहीं आ रही थी और तब मुझे अंदाज़ हो गया था की कुछ तो गड़बड़ है. उसी दम मैं अपने परिवार के लोगों से अलग हो गया और अपने आप को एक अलग कमरे में आइसोलेट कर लिया. अगले दिन सुबह होते ही जानकारी इकठ्ठा करने पर मालूम चला की BHU और कुछ एक सरकारी अस्पतालों में कोविड की फ्री जांच हो रही है.

सर्वप्रथम मैंने मेरे घर के पास भेलूपुर में स्थित विवेकानंद सरकारी अस्पताल में संपर्क किया तो उस दिन वहां टेस्ट नहीं हो रहा था क्योकि उस दिन उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से स्वास्थ मेले का आयोजन किया गया था और वही पर सारे कर्मचारी व्यस्त थे. मुझे वहां से कबीरचौरा हॉस्पिटल जाने की सलाह दी गयी. फिर मैं कबीरचौरा हॉस्पिटल गया लेकिन वहां की भयावह स्थिति देखकर मुझे वहां टेस्ट करवाने की हिम्मत नहीं हुई. सर्वप्रथम तो कोई ये भी बताने वाला नहीं था की वहां टेस्ट हो कहाँ रहा है. बहुत खोजने पर हॉस्पिटल के निकासी द्वार पर एक पीपल के पेंड के नीचे दो लोग बैठे दिखे जो covid का टेस्ट कर रहे थे. न ही उनमे से किसी ने PPE किट पहना था और नहीं किसी प्रकार के covid प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा था.

ये सब देखकर मैं वहां से बिना टेस्ट करवाए ही लौट आया. मैंने सोचा की किसी प्राइवेट लैब में ही टेस्ट करवा लूँगा. सबसे पहले मैं Pathkind लैब में गया जहाँ मुझे बोला गया सैंपल लेने के 24 घंटे बाद रिपोर्ट आएगी. फिर मैं Lalpath गया जहाँ और विचित्र स्थिति थी. वहां मुझसे बोला गया की आप 900 रूपये जमा कर के जाइए और कल शाम को हमारा आदमी आपके घर जायेगा सैंपल लेने और फिर उसके 24 घंटे बाद रिपोर्ट आएगी . मैंने बोला की मैं खुद अपनी जांच करवाना चाहता हूँ और उनके लैब में उपलब्ध हूँ तो फिर मेरा सैंपल तुरंत क्यों नहीं लिया जा सकता. तो वो लोग बोले की कोविड का सैंपल घर से ही लिया जायेगा और वो भी कल, कोई दूसरा रास्ता नहीं. मुझे लगा की यदि 2 दिन इंतज़ार ही करना है तो फिर मैं फ्री वाली जांच ही क्यों न करवा लूं .

इसके बाद मैंने बीएचयू में काम करने वाले अपने एक रिश्तेदार को मदद के लिए फ़ोन किया. उसने बोला की मैं शाम 4बजे के बाद आकर कभी भी बीएचयू में टेस्ट करवा सकता हूँ. तभी मेरे पड़ोस में रहने वाले अलोक भईया (जो की स्वास्थ विभाग के कर्मचारी हैं) उनका फोन आया और वो बोले की स्वास्थ मेला में भी कोविड का जांच हो रहा है और मुझे वहां जाना चाहिए. मैं तुरंत स्वास्थ मेला में गया जहाँ कोविड टेस्ट कराने की भी सुविधा थी और वहां मेरा रैपिड एंटीजन और RTPCR दोनों टेस्ट हो गया. रैपिड एंटीजन टेस्ट को एक किट पर करते हैं तथा उसकी रिपोर्ट तुरंत आ जाती है. मेरा रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई जो की एक बहुत बड़ा सुकून देने वाली खबर थी. लेकिन उसी समय अलोक भईया बोले की रैपिड टेस्ट पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर सकते, कई बार इसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है लेकिन RTPCR में पॉजिटिव रिपोर्ट आ जाती है.

स्वास्थ मेला में टेस्ट करा कर वहां से थोड़ी दूर चलते ही मेरे रिश्तेदार का फ़ोन आ गया और वो बोला की बीएचयू आ जाइए. फिर वहां से सीधे मैं बीएचयू चला गया और वहां भी RTPCR का सैंपल दे आया. मेरे पहुचने से पहले ही टोनी मेरा रजिस्ट्रेशन करा कर रखा था जिसकी वजह से मुझे लाइन में नहीं लगना पड़ा. मेरे वहां पहुचते ही तुरंत मेरा टेस्ट हो गया और मुझे बताया गया की कल सुबह तक मैं अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन चेक कर सकता हूँ. बीएचयू में चीजें ज्यादा बेहतर समझ में आई क्योकि उनके काम करने के तरीके से ही लग रहा था की कम से कम उनलोगों को ये पता था की वो क्या कर रहे हैं नहीं तो कबीरचौरा हॉस्पिटल या स्वास्थ मेला में तो ऐसा लग रहा था की किसी को सड़क से उठा कर बैठा दिया गया है जिसको खुद नहीं मालूम की उसको करना क्या है.

बीएचयू में टेस्ट करने वाले लोग उचित तरीके से PPE किट पहने हुए थे, फेस मास्क लगाये हुए थे, वहां एक दूसरे के बीच दूरी बनवाई जा रही थी और दूसरे नियम कानून का भी पालन करवाया जा रहा था. कुल मिलाजुला कर स्वास्थ मेला, कबीरचौरा हॉस्पिटल, Pathkind लैब और Lalpath लैब से बेहतर अनुभव बीएचयू का रहा. मुझे बीएचयू से ही एक वेबसाइट का लिंक दिया गया था (http://labreports.upcovid19tracks.in/) जहाँ जा कर मैं अपना रिपोर्ट चेक कर सकता था. मुझसे हॉस्पिटल में बोला गया की मैं 24 घंटे बाद वेबसाइट पर अपनी रिपोर्ट देख सकता हूँ. उस वेबसाइट को खोलने पर एक ऑप्शन था जिसमे वही मोबाईल नंबर डालना था जिसको टेस्ट करवाते समय रजिस्टर करवाया गया था क्योकि उसी मोबाइल नंबर पर एक OTP आता है जिसको वेबसाइट पर डालना पड़ता है जिसके बाद रिपोर्ट देख सकते हैं.

कुल मिलाजुला आसान प्रक्रिया थी और हमको लगता है की कोई भी आसानी से ये टेस्ट फ्री में बीएचयू में करवा सकता है. मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव थी, मतलब मैं कोरोना संक्रमित था जिसका मतलब की अब मुझे कम से कम अगले 14 दिनों तक घर में रहना था तथा अगली बार का टेस्ट भी दो सप्ताह बाद ही करवाना था. मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के अगले दिन ही मुझे स्वास्थ विभाग से फ़ोन आया, उन्होंने मेरे परिवार के सदस्यों के बारे में पुछा और बोले की मुझे अपने पूरे परिवार का टेस्ट करवाना चाहिए. उस दिन शनिवार था इसलिए उन लोगों ने बोला की सोमवार को स्वास्थ विभाग से कुछ लोग मेरे घर जायेंगे और घर पर ही सबका टेस्ट किया जायेगा लेकिन मैं इतना इंतज़ार नहीं करना चाहता था. मेरे अपने परिवार के सदस्यों को भी रविवार को ही बीएचयू भेज कर सबका टेस्ट करवा दिया जिसकी रिपोर्ट भी शाम तक आ गयी.

अंततः 12 बाद जब मुझे स्वास्थ में आराम महसूस होने लगा तब मैंने सोचा की दोबारा से एक बार और टेस्ट करवा लें लेकिन इस बार टेस्ट करवाने के अनुभव पहली बार से बिलकुल अगल था. मैंने पहला टेस्ट 19 मार्च को करवाया था और उस दिन केवल 12 लोगों की पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी लेकिन अगले दस दिनों ही इन्फेक्शन इतना तेजी से फैला की प्रति दिन 1000 से ज्यादा लोगों की पॉजिटिव रिपोर्ट आने लगी. मैं अपना टेस्ट करवाने के लिए शाम 6 बजे बीएचयू पंहुचा तो मुझे बोला गया की आप शाम 8 बजे आइये, अभी रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद है. फिर मैं शाम 8.30 पर गया तब मुझे बोला गया की रात दस बजे आइये उसी समय रजिस्ट्रेशन भी होगा और टेस्ट भी हो जायेगा.

अंततः रात 10 बजे पहुचने पर भी वहां न ही रजिस्ट्रेशन हो रहा था और न ही टेस्ट. मेरी ही तरह काफी लोग वहां लाइन में खड़े थे. मुझे सबसे बड़ा आश्चर्य ये देख कर हुआ की कई लोग उन रोगियों को भी स्ट्रेचर पर लेकर आये थे जो की पहले से ही बीएचयू में किसी रोग की वजह से भर्ती थे. मुझे ये नहीं समझ में आ रहा था की जो रोगी पहले से ही हॉस्पिटल में भर्ती है उसको टेस्टिंग सेण्टर तक लाने की क्या जरूरत? उनका टेस्ट तो उनके बेड पर ही किया जा सकता था और एक बीमार आदमी को स्ट्रेचर पर लेकर कोविड टेस्टिंग सेण्टर ले कर आना उस पेशेंट के लिए भी खतरा हो सकता है. क्या पता वो निगेटिव हो लेकिन वहां टेस्टिंग सेंटर पर किसी पॉजिटिव व्यक्ति के सम्पर्क में आने से पॉजिटिव हो जाये.

खैर, अंततः रात 10.45 पर रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ और सैंपल देते देते रात का 11.30 बज गया. अगले दो दिनों तक ऑनलाइन रिपोर्ट भी नहीं आई तब मैं खुद बीएचयू गया और वहां पता चला की चूँकि इधर बीच बहुत ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं और बहुत ज्यादा लोग टेस्ट करवाने आ रहे हैं इसलिए रिपोर्ट आने में 3 दिन तक लग जा रहा है. अंततः तीसरे दिन मेरी रिपोर्ट आई और मेरी रिपोर्ट दोबारा से पॉजिटिव ही था. मुझे नहीं मालूम ये सच है या नहीं लेकिन मुझसे कई लोगों ने बोला की यदि आप की रिपोर्ट एक बार पॉजिटिव आ गयी तो अगले 14 दिनों तक जानबूझ कर नेगेटिव रिपोर्ट नहीं दी जाती ताकि पेशेंट घर में ही रहे. खैर, मुझे इस बात पर विश्वास नहीं था. मुझे ऐसा लगता है की यदि कोई पॉजिटिव है तभी उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी.

मैंने पंद्रहवे दिन फिर से अपना टेस्ट करवाया और इस बार स्थिति और गड़बड़ थी. अबतक औसतन रोज 2000 बनारस में पॉजिटिव हो जा रहे थे और बीएचयू पर बहुत ज्यादा लोड था. पहले की तुलना में कई गुना लोग टेस्ट करवाने के लिए पहुच रहे थे. पहले जहाँ औसतन एक-डेढ़ घंटे में टेस्ट हो जाता था इस बार तकरीबन 3 घंटे लगा और रिपोर्ट भी 3 दिन बाद आई. कुल मिलाजुला कर जितना अच्छा अनुभव शुरुआत में बीएचयू में था वो उतना ही बुरा हो गया. मैंने उसी दिन एक सरकारी अस्पताल में भी अपना सैंपल दिया था जिसकी रिपोर्ट कभी नहीं आई, पता करने पर हमेशा बोला गया की लोड बहुत ज्यादा है इस वजह से रिपोर्ट नहीं आ रही है.

रिपोर्ट लेट होने का कितना घातक परिणाम हो सकता है इस बात का अंदाज़ भी लगा पाना मुश्किल है. यदि कोई टेस्ट करवाता है और उसकी रिपोर्ट 2-3 दिन बाद आती है तो उस बीच में वो कई लोगों को इन्फेक्शन फैला सकता है या बीमारी का पता न चल पाने की स्थिति में हालत और ख़राब हो सकती है. कुल मिलाजुला कर आज की परिस्थिति को देखते हुए किसी प्राइवेट लैब में ही टेस्ट करवा लेना बेहतर है, कम से कम वो रिपोर्ट तो सही समय से देंगे. बस अंतर इतना है की सरकारी अस्पतालों में ये जांच फ्री है और प्राइवेट लैब में 900 रूपये का खर्च है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है की यदि पैसा है तो वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्राइवेट लैब में ही जांच करवा लेनी चाहिए ताकि सही समय से ईलाज तो शुरू हो सके.

कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव होने तक के मेरे अनुभव से मैं अब ये जरूर कह सकता हूँ की यदि बनारस में कहीं टेस्ट कोविड का टेस्ट करवाना है या तो बीएचयू में करवाना चाहिए या फिर किसी अच्छे प्राइवेट लैब में. यदि कोई स्वास्थ सम्बंधित कोई ख़ास दिक्कत नहीं आ रही है तो बीएचयू में जा सकते हैं लेकिन यदि जरा भी दिक्कत परेशानी हो तो बिना समय व्यर्थ किये किसी प्राइवेट लैब में जांच करवा कर तुरंत डॉक्टर के निर्देशन में अपना ईलाज शुरू कर देना चाहिए. लेकिन मुझे ये भी मालूम है की हर किसी के बस की बात नहीं है की वो 900 रूपये लगवा कर टेस्ट करवा पायेगा इसलिए अंतिम उम्मीद तो सरकारी व्यवस्थाओं से ही बनती है और मुझे उम्मीद है की आने वाले समय में सरकारी व्यवस्था और दुरुस्त होगी जिससे ज्यादा से ज्यादा आम लोग अपना टेस्ट करवा सकें और इस वैश्विक महामारी से लड़ने में आगे आ सकें.