कोरोना का ईलाज Treatment of Corona

इस पोस्ट को लिखने के पीछे मेरा केवल एक धेय है मैं कोविड पॉजिटिव से नेगेटिव होने तक के अपने अनुभव को लोगों के साथ साझा कर सकूं जिससे दूसरों की मदद हो सके. लेकिन मैं एक बात स्पष्ठ कर देना चाहता हूँ की मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ, और न ही इस पोस्ट के माध्यम से मैं किसी को कोरोना के ईलाज के सम्बन्ध में कोई सलाह दे रहा हूँ. हर किसी का शरीर अलग होता है तथा एक ही बीमारी अलग अलग लोगों के साथ अलग अलग तरह से व्यवहार करती है. इसलिए कृपया इस पोस्ट को केवल मेरा अनुभव ही समझे और उससे ज्यादा कुछ भी नहीं. हाँ एक व्यक्तिगत सलाह जरूर देंगे की यदि आपको जरा भी आशंका है की आप कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं तो बिना देरी के अपना टेस्ट करवाएं एवं डॉक्टर से उचित सलाह ले कर ही कोई भी काम करें.

मेरे लिए कोरोना पॉजिटिव होना एक आम इंसान के कोरोना पॉजिटिव होने से बहुत ज्यादा खतरनाक था क्योकि मैं अपने लीवर ट्रांसप्लांट के बाद से immunosuppressive दवाएं लेता हूँ जो मेरे शरीर के रोग से लड़ने की क्षमता को कमजोर रखता है. जहाँ कोरोना के ईलाज के लिए सभी डॉक्टर केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना ही इस महामारी का ईलाज बताते हैं वहीँ मजबूरन मैं अपनी रोक प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने की दावा लेता था. और इस दवा के लेने की वजह से मुझे ये मालूम था की मेरे लिए कोरोना से लड़ना किसी दुसरे आम इन्सान की तुलना में थोडा कठिन होने वाला था. कोरोना जांच की रिपोर्ट आने के पहले ही मुझे इस बात का अंदाज़ हो चूका था की मैं कोरोना पॉजिटिव था क्योकि मेरे सूंघने की शक्ति बिल्कुल क्षीण हो चुकी थी.

जैसे ही मुझे ये अहसाह हुआ था मैं कोरोना पॉजिटिव हो सकता हूँ मैंने सर्वप्रथम अपने आपको बाकी के परिवार के सदस्यों से पूरी तरह से अलग कर लिया था. जब रिपोर्ट आ गयी उसके बाद सबसे पहले मैंने अपने लीवर के डॉक्टर को ILBS हॉस्पिटल में सूचना दी. उन्होंने बोला की immunosuppressive दवाएं बंद कर दो क्योकि कोरोना के ईलाज में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी चाहिए और मेरी दवाएं उसको कमजोर रखने के लिए हैं. ये मेरे लिए बहुत विचित्र स्थिति थी क्योकि यदि immunosuppressive दवाएं बंद होती हैं तो मेरे ट्रांसप्लांट हुए लीवर के लिए घातक है और यदि वो दवाएं लेते रहे तो कोरोना के ईलाज के लिए घातक.

उन्होंने मुझे कोरोना के ईलाज से सम्बंधित कुछ दवाएं भी दी. मेरे डॉक्टर का कहना था की कोरोना के लिए कोई विशेष दवा नहीं बनी है, व्यक्ति का खुद का शरीर ही कोरोना से लड़ता है. साथ में जो दवाएं दी जाती हैं वो केवल शरीर की आधारभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए दी जाती हैं जैसे मल्टीविटामिन, जिंक और विटामिन C. मुझे मात्र यही 3 दवाएं दी गयी थी, इसके अलावा कुछ भी नहीं. इसके साथ में मुझे दूध-हल्दी, दिन में कम से कम 4 बार भाप लेना, प्राणायाम, सांस लेने से सम्बंधित दूसरे व्यायाम और स्पाईरोमीटर से दिन में 3-4 बार व्यायाम करने के लिए बोला गया. साथ में अपना पल्स रेट और ऑक्सीजन लेवल भी देखते रहने को बोला गया.

मेरे डॉक्टर ने बोला की घर पर आराम करना है, संतुलित भोजन करना है और यदि सांस लेने में तकलीफ होती है तो तुरंत किसी पास के कोविड हॉस्पिटल में एडमिट हो जाना है. डॉक्टर ने ये भी बोला की यदि ऑक्सीजन लेवल 95 से नीचे होता है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. मुझे ऑक्सीजन लेवल का अंदाज़ पहले से था क्योकि अपने लीवर के ईलाज के समय मैं काफी समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर था और मुझे इस बात का अंदाज़ था की अगर ऑक्सीजन लेवल 90 तक भी पहुच जाता है तो उसमे हॉस्पिटल की तुरंत जरूरत नहीं है. इसके अलावा कुछ स्वास से सम्बंधित व्यायाम भी मुझे काफी पहले से मालूम थे जिसको करने से शरीर का ऑक्सीजन लेवल बढाने में मदद मिलती है जैसे की Proning या कुछ योग एवं प्राणायाम.

प्रोनिंग एक प्रकार की बैठने, लेटने और सांस लेने की विशेष अवस्था है जिसके द्वारा ज्यादा से ज्यादा सांस फेफड़ों में भरी जा सके ताकि शरीर का ऑक्सीजन लेवल बना रहे. प्रोनिंग और योग द्वारा ऑक्सीजन लेवल बढाने की प्रक्रिया लगभग एक सी ही है बस करने का तरीका थोडा अलग है. प्रोनिंग में भी एक विशेष अवस्था में बैठ कर या लेट कर फेफड़ों में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन भरने की बात की जाती है और योग प्राणायाम तो पूरी तरह से सांस भरने और छोड़ने पर आधारित प्रक्रिया है. लेकिन इनमे से किसी को भी करने के पहले मुझे ऐसा लगता है की किसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. योग प्राणायाम से ऑक्सीजन लेवल बनाये रखने के लिए बाबा रामदेव भी कई आसनों और प्राणायाम बताते हैं जिसको इस विडियो में देख सकते हैं-

मेरे पॉजिटिव होने के कुछ दिन बाद से एक एक कर के मेरे घर के सभी सदस्य कोविड पॉजिटिव हो गए और हम सभी लोगों ने वहीँ दवाइयां ली जो मेरे डॉक्टर ने मुझे बताई थी और वही दिनचर्या का पालन किया जैसा डॉक्टर ने बोला था. मेरे बड़े भाई ने बनारस के किसी डॉक्टर के द्वारा बताई गयी दवाइयां ली थी जो मेरे दवाइयों से थोड़ी अलग थी. बनारस में डॉक्टर मल्टी विटामिन, जिंक, विटामिन C के साथ में Doxycycline, Montelukast and Fexofenadine और Ivermectin भी दे रहे थे जबकि मैंने केवल मल्टीविटामिन, जिंक और विटामिन C ही लिया था. अंततः 15 दिन बाद मैंने अपना RT PCR टेस्ट करवाया और रिपोर्ट नेगेटिव आ गई और एक एक कर के परिवार के सभी सदस्य भी नेगेटिव हो गए.

पॉजिटिव से नेगेटिव होने के इस दौर में जो महत्वपूर्ण बातें नोटिस किया जिससे मुझे बहुत मदद मिली वो थी-

  • जैसे ही शंका हुआ मैंने तुरंत अपना टेस्ट करवा लिया जिससे की मुझे ये पता चल गया की मुझे कोविड का इन्फेक्शन है जिससे मुझे मेरा ईलाज सही समय पर शुरू करने में मदद मिली. आज सभी का ये मानना है की यदि कोविड के इन्फेक्शन का पता सही समय पर चल जाये तो इससे लड़ाई आसान हो जाती है. नहीं तो अगर ये इन्फेक्शन बढ़ गया तो फिर दुनिया जानती है की इसकी कोई दवा नहीं है. इसलिए अगर जरा सा भी शंका हो की कोविड का इन्फेक्शन हो सकता है तो तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए और डॉक्टर के निर्देशन में अपना ईलाज शुरू कर देना चाहिए.
  • अपने आपको सबसे अलग कर लेना और घर पर भी रहना बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि कोविड शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है और यदि उस समय कोई घर के बाहर आता जाता है या दूसरे व्यक्तियों के संपर्क में आता है तो उसे दूसरा इन्फेक्शन भी आने का खतरा होता है और साथ ही साथ वो अपना इन्फेक्शन दूसरे को भी दे देता है क्योकि कोरोना बहुत ही जबरदस्त संक्रामक वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फ़ैल जाता है. कई वैज्ञानिक तो यहाँ तक बोल रहे है की ये हवा से फैलने वाला वायरस है इसलिए अपने आपको आइसोलेट कर लेने में ही समझदारी है.
  • भाप लेना बहुत मदद किया – मेरे डॉक्टर ने मुझे दिन में 3-4 बार भाप लेने के लिए बोला था जिसका मुझे बहुत फायदा महसूस हुआ. शायद इसी वजह से मुझे खांसी या खरास की दिक्कत नहीं हुई. भाप लेने के लिए शुरू के 2-3 दिन मैंने घर पर ही बड़े बर्तन में पानी गर्म कर के भाप लिया लेकिन उसके बाद एक छोटी मशीन खरीद लिया जिससे काम और आसान हो गया. भाप लेने सम्बंधित भी कुछ नियम है जिसका पालन करना चाहिए.
  • स्पाईरोमीटर – स्पाईरोमीटर एक छोटा सा यन्त्र होता है जिसका इस्तेमाल फेफड़ों और सांस सम्बंधित व्यायाम करने के लिए किया जाता है. इसमें बंद चौकोर डिब्बे में 3 बाल होती हैं जिससे एक पाइप जुडी होती है. उसी पाइप से सांस अन्दर खीचने पर वो बालें ऊपर की और उठती हैं. जितनी जोर से सांस खींचा जायेगा उतनी ज्यादा बाल ऊपर उठती है. ये फेफड़ों के लिए बहुत ही बेहतरीन व्यायाम है. मेरे डॉक्टर ने मुझे ये व्यायाम दिन में 4-5 बार करने के लिए बोला था.
  • दूध हल्दी का सेवन करना हमेशा से ही अच्छा माना गया है जिसको आयुर्वेद और अंग्रेजी डॉक्टर दोनों लोग मान्यता देते हैं. दूध हल्दी से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है जो की कोरोना से लड़ने का एकमात्र उपाय है. इसका सेवन करने की सलाह भी मुझे मेरे डॉक्टर ने दिया था. इसके साथ में हल्का, सुपाच्य और स्वास्थ्कारी भोजन (घर का बना हुआ ज्यादा तेल, घी, मसाले वाला नहीं) करने की सलाह दी गयी थी.

कुल मिलाजुला कर मेरा अनुभव ये रहा की यदि कोरोना का इन्फेक्शन सही समय पर पता चल जाये और यदि व्यक्ति डॉक्टर की सलाह माने तो इस इन्फेक्शन को ख़त्म करने में बहुत मदद मिल सकती है. इसलिए यदि जरा सी भी शंका हो तो तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए. दूसरी बहुत महत्वपूर्ण बात ये की इस इन्फेक्शन को लेकर घबराना नहीं चाहिए. मैंने देखा है की लोग कोरोना का नाम सुनते ही बहुत ज्यादा डर जाते हैं. जहाँ तक हो सके सकारात्मक रहने का प्रयास करना चाहिए, घर पर हैं तो अपने पसंद की फिल्म देखिये, किताबें पढ़िए….कोई भी काम जो बिना किसी दूसरे से मिले जुले हो सकता है. जहाँ तक हो सके हॉस्पिटल से दूरी बनाने में ही समझदारी है.

मुझे ऐसा लगता है की यदि मेरे जैस आदमी जिसका मात्र 5 महीने पहले लीवर ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो immunosupressive दवाएं लेता हो अगर वो इस वायरस को परास्त कर सकता है तो कोई भी व्यक्ति सही निर्णय लेकर कोरोना को परास्त कर सकता है. जैसा की मैंने शुरू में लिखा है की ये लेख मेरा व्यक्तिगत अनुभव मात्र है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ ना ही मुझे कोरोना या उससे सम्बंधित कोई वैज्ञानिक जानकारी है. इसलिए इस लेख को एक सच्ची कहानी से ज्यादा कुछ भी न समझे. कुछ भी परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनके निर्देशानुसार ही अपना इलाज करें.