वाराणसी में कोरोना टेस्ट Corona test in Varanasi

कोरोना महामारी को शुरू हुए अब लगभग एक साल से ज्यदा बीत गया है और भाग्यवश मैं इस वर्ष मार्च तक इस इन्फेक्शन से बचा ही रहा लेकिन अंततः 18 मार्च को मैं भी Covid पॉजिटिव हो ही गया. जबसे कोविड आया है तबसे अमूमन लोग सफ़र करने से बच रहे हैं लेकिन मुझे लीवर ट्रांसप्लांट के बाद से रेगुलर फॉलोअप के लिए महीने में एक बार ILBS हॉस्पिटल, दिल्ली जाना ही होता है. मार्च में मेरा फॉलोअप 17 तारीख को था जिसके लिए मैं 15 तारीख को ही दिल्ली पहुच गया था. बनारस से दिल्ली का सफ़र मैंने ट्रेन से तय किया था और 15 तारीख को ही हॉस्पिटल में अपना कोविड का जांच करवा लिए थे जिसमे मेरी रिपोर्ट नेगेटिव थी तथा ये रिपोर्ट 3 दिन के लिए मान्य होती है. बिना कोविड नेगेटिव की रिपोर्ट के कोई भी ILBS में डॉक्टर से नहीं मिल सकता है.

अंततः मैं 17 तारीख को अपने डॉक्टर से मिल कर 18 तारीख को बनारस वापस आ गया. उस समय तक मुझे कोई परेशानी नहीं थी. 18 तारीख को मुझे कुछ जरूरी काम होने की वजह से दिन भर बहुत ज्यादा व्यस्तता थी और मैं बिना किसी दिक्कत परेशानी के दिन भर काम किया. अंततः शाम को खाना बनाते मैंने एक बात नोटिस किया की उस रोज मुझे सब्जी में से मसलों की कोई सुगंध नहीं आ रही थी एक बार तो मैंने सोचा की शायद मैं सब्जी में मसाला डालना ही भूल गया जिसकी वजह से सब्जी में कोई सुगंध नहीं है लेकिन फिर मैंने सोचा की अगर मैंने मसाला नहीं भी डाला है तो भी कोई तो सुगंध होनी चाहिए. मैंने कई बार सब्जी का सुगंध लेनें का कोशिश किया लेकिन मैं कुछ भी सूंघ नहीं सकता था.

उसके बाद मैंने परफ्यूम सूंघने का कोशिश किया लेकिन मेरे लिए उसमे भी कोई सुगंध नहीं था. फिर उसके बाद अपने कमरे में रूम फ्रेशनर छिड़क कर देखे लेकिन उसमे भी कोई सुगंध नहीं था. तब मैंने सोचा की शायद ट्रेन में सफर के दौरान मुझे सर्दी-जुकाम हो गया है जिसके लिए मैंने गर्म पानी में विक्स मिला कर भाप लेने का कोशिश किया लेकिन तब भी वही परिणाम – मुझे गर्म पानी में मिले विक्स तक की सुगंध नहीं आ रही थी और तब मुझे अंदाज़ हो गया था की कुछ तो गड़बड़ है. उसी दम मैं अपने परिवार के लोगों से अलग हो गया और अपने आप को एक अलग कमरे में आइसोलेट कर लिया. अगले दिन सुबह होते ही जानकारी इकठ्ठा करने पर मालूम चला की BHU और कुछ एक सरकारी अस्पतालों में कोविड की फ्री जांच हो रही है.

सर्वप्रथम मैंने मेरे घर के पास भेलूपुर में स्थित विवेकानंद सरकारी अस्पताल में संपर्क किया तो उस दिन वहां टेस्ट नहीं हो रहा था क्योकि उस दिन उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से स्वास्थ मेले का आयोजन किया गया था और वही पर सारे कर्मचारी व्यस्त थे. मुझे वहां से कबीरचौरा हॉस्पिटल जाने की सलाह दी गयी. फिर मैं कबीरचौरा हॉस्पिटल गया लेकिन वहां की भयावह स्थिति देखकर मुझे वहां टेस्ट करवाने की हिम्मत नहीं हुई. सर्वप्रथम तो कोई ये भी बताने वाला नहीं था की वहां टेस्ट हो कहाँ रहा है. बहुत खोजने पर हॉस्पिटल के निकासी द्वार पर एक पीपल के पेंड के नीचे दो लोग बैठे दिखे जो covid का टेस्ट कर रहे थे. न ही उनमे से किसी ने PPE किट पहना था और नहीं किसी प्रकार के covid प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा था.

ये सब देखकर मैं वहां से बिना टेस्ट करवाए ही लौट आया. मैंने सोचा की किसी प्राइवेट लैब में ही टेस्ट करवा लूँगा. सबसे पहले मैं Pathkind लैब में गया जहाँ मुझे बोला गया सैंपल लेने के 24 घंटे बाद रिपोर्ट आएगी. फिर मैं Lalpath गया जहाँ और विचित्र स्थिति थी. वहां मुझसे बोला गया की आप 900 रूपये जमा कर के जाइए और कल शाम को हमारा आदमी आपके घर जायेगा सैंपल लेने और फिर उसके 24 घंटे बाद रिपोर्ट आएगी . मैंने बोला की मैं खुद अपनी जांच करवाना चाहता हूँ और उनके लैब में उपलब्ध हूँ तो फिर मेरा सैंपल तुरंत क्यों नहीं लिया जा सकता. तो वो लोग बोले की कोविड का सैंपल घर से ही लिया जायेगा और वो भी कल, कोई दूसरा रास्ता नहीं. मुझे लगा की यदि 2 दिन इंतज़ार ही करना है तो फिर मैं फ्री वाली जांच ही क्यों न करवा लूं .

इसके बाद मैंने बीएचयू में काम करने वाले अपने एक रिश्तेदार को मदद के लिए फ़ोन किया. उसने बोला की मैं शाम 4बजे के बाद आकर कभी भी बीएचयू में टेस्ट करवा सकता हूँ. तभी मेरे पड़ोस में रहने वाले अलोक भईया (जो की स्वास्थ विभाग के कर्मचारी हैं) उनका फोन आया और वो बोले की स्वास्थ मेला में भी कोविड का जांच हो रहा है और मुझे वहां जाना चाहिए. मैं तुरंत स्वास्थ मेला में गया जहाँ कोविड टेस्ट कराने की भी सुविधा थी और वहां मेरा रैपिड एंटीजन और RTPCR दोनों टेस्ट हो गया. रैपिड एंटीजन टेस्ट को एक किट पर करते हैं तथा उसकी रिपोर्ट तुरंत आ जाती है. मेरा रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई जो की एक बहुत बड़ा सुकून देने वाली खबर थी. लेकिन उसी समय अलोक भईया बोले की रैपिड टेस्ट पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर सकते, कई बार इसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है लेकिन RTPCR में पॉजिटिव रिपोर्ट आ जाती है.

स्वास्थ मेला में टेस्ट करा कर वहां से थोड़ी दूर चलते ही मेरे रिश्तेदार का फ़ोन आ गया और वो बोला की बीएचयू आ जाइए. फिर वहां से सीधे मैं बीएचयू चला गया और वहां भी RTPCR का सैंपल दे आया. मेरे पहुचने से पहले ही टोनी मेरा रजिस्ट्रेशन करा कर रखा था जिसकी वजह से मुझे लाइन में नहीं लगना पड़ा. मेरे वहां पहुचते ही तुरंत मेरा टेस्ट हो गया और मुझे बताया गया की कल सुबह तक मैं अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन चेक कर सकता हूँ. बीएचयू में चीजें ज्यादा बेहतर समझ में आई क्योकि उनके काम करने के तरीके से ही लग रहा था की कम से कम उनलोगों को ये पता था की वो क्या कर रहे हैं नहीं तो कबीरचौरा हॉस्पिटल या स्वास्थ मेला में तो ऐसा लग रहा था की किसी को सड़क से उठा कर बैठा दिया गया है जिसको खुद नहीं मालूम की उसको करना क्या है.

बीएचयू में टेस्ट करने वाले लोग उचित तरीके से PPE किट पहने हुए थे, फेस मास्क लगाये हुए थे, वहां एक दूसरे के बीच दूरी बनवाई जा रही थी और दूसरे नियम कानून का भी पालन करवाया जा रहा था. कुल मिलाजुला कर स्वास्थ मेला, कबीरचौरा हॉस्पिटल, Pathkind लैब और Lalpath लैब से बेहतर अनुभव बीएचयू का रहा. मुझे बीएचयू से ही एक वेबसाइट का लिंक दिया गया था (http://labreports.upcovid19tracks.in/) जहाँ जा कर मैं अपना रिपोर्ट चेक कर सकता था. मुझसे हॉस्पिटल में बोला गया की मैं 24 घंटे बाद वेबसाइट पर अपनी रिपोर्ट देख सकता हूँ. उस वेबसाइट को खोलने पर एक ऑप्शन था जिसमे वही मोबाईल नंबर डालना था जिसको टेस्ट करवाते समय रजिस्टर करवाया गया था क्योकि उसी मोबाइल नंबर पर एक OTP आता है जिसको वेबसाइट पर डालना पड़ता है जिसके बाद रिपोर्ट देख सकते हैं.

कुल मिलाजुला आसान प्रक्रिया थी और हमको लगता है की कोई भी आसानी से ये टेस्ट फ्री में बीएचयू में करवा सकता है. मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव थी, मतलब मैं कोरोना संक्रमित था जिसका मतलब की अब मुझे कम से कम अगले 14 दिनों तक घर में रहना था तथा अगली बार का टेस्ट भी दो सप्ताह बाद ही करवाना था. मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के अगले दिन ही मुझे स्वास्थ विभाग से फ़ोन आया, उन्होंने मेरे परिवार के सदस्यों के बारे में पुछा और बोले की मुझे अपने पूरे परिवार का टेस्ट करवाना चाहिए. उस दिन शनिवार था इसलिए उन लोगों ने बोला की सोमवार को स्वास्थ विभाग से कुछ लोग मेरे घर जायेंगे और घर पर ही सबका टेस्ट किया जायेगा लेकिन मैं इतना इंतज़ार नहीं करना चाहता था. मेरे अपने परिवार के सदस्यों को भी रविवार को ही बीएचयू भेज कर सबका टेस्ट करवा दिया जिसकी रिपोर्ट भी शाम तक आ गयी.

अंततः 12 बाद जब मुझे स्वास्थ में आराम महसूस होने लगा तब मैंने सोचा की दोबारा से एक बार और टेस्ट करवा लें लेकिन इस बार टेस्ट करवाने के अनुभव पहली बार से बिलकुल अगल था. मैंने पहला टेस्ट 19 मार्च को करवाया था और उस दिन केवल 12 लोगों की पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी लेकिन अगले दस दिनों ही इन्फेक्शन इतना तेजी से फैला की प्रति दिन 1000 से ज्यादा लोगों की पॉजिटिव रिपोर्ट आने लगी. मैं अपना टेस्ट करवाने के लिए शाम 6 बजे बीएचयू पंहुचा तो मुझे बोला गया की आप शाम 8 बजे आइये, अभी रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद है. फिर मैं शाम 8.30 पर गया तब मुझे बोला गया की रात दस बजे आइये उसी समय रजिस्ट्रेशन भी होगा और टेस्ट भी हो जायेगा.

अंततः रात 10 बजे पहुचने पर भी वहां न ही रजिस्ट्रेशन हो रहा था और न ही टेस्ट. मेरी ही तरह काफी लोग वहां लाइन में खड़े थे. मुझे सबसे बड़ा आश्चर्य ये देख कर हुआ की कई लोग उन रोगियों को भी स्ट्रेचर पर लेकर आये थे जो की पहले से ही बीएचयू में किसी रोग की वजह से भर्ती थे. मुझे ये नहीं समझ में आ रहा था की जो रोगी पहले से ही हॉस्पिटल में भर्ती है उसको टेस्टिंग सेण्टर तक लाने की क्या जरूरत? उनका टेस्ट तो उनके बेड पर ही किया जा सकता था और एक बीमार आदमी को स्ट्रेचर पर लेकर कोविड टेस्टिंग सेण्टर ले कर आना उस पेशेंट के लिए भी खतरा हो सकता है. क्या पता वो निगेटिव हो लेकिन वहां टेस्टिंग सेंटर पर किसी पॉजिटिव व्यक्ति के सम्पर्क में आने से पॉजिटिव हो जाये.

खैर, अंततः रात 10.45 पर रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ और सैंपल देते देते रात का 11.30 बज गया. अगले दो दिनों तक ऑनलाइन रिपोर्ट भी नहीं आई तब मैं खुद बीएचयू गया और वहां पता चला की चूँकि इधर बीच बहुत ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं और बहुत ज्यादा लोग टेस्ट करवाने आ रहे हैं इसलिए रिपोर्ट आने में 3 दिन तक लग जा रहा है. अंततः तीसरे दिन मेरी रिपोर्ट आई और मेरी रिपोर्ट दोबारा से पॉजिटिव ही था. मुझे नहीं मालूम ये सच है या नहीं लेकिन मुझसे कई लोगों ने बोला की यदि आप की रिपोर्ट एक बार पॉजिटिव आ गयी तो अगले 14 दिनों तक जानबूझ कर नेगेटिव रिपोर्ट नहीं दी जाती ताकि पेशेंट घर में ही रहे. खैर, मुझे इस बात पर विश्वास नहीं था. मुझे ऐसा लगता है की यदि कोई पॉजिटिव है तभी उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी.

मैंने पंद्रहवे दिन फिर से अपना टेस्ट करवाया और इस बार स्थिति और गड़बड़ थी. अबतक औसतन रोज 2000 बनारस में पॉजिटिव हो जा रहे थे और बीएचयू पर बहुत ज्यादा लोड था. पहले की तुलना में कई गुना लोग टेस्ट करवाने के लिए पहुच रहे थे. पहले जहाँ औसतन एक-डेढ़ घंटे में टेस्ट हो जाता था इस बार तकरीबन 3 घंटे लगा और रिपोर्ट भी 3 दिन बाद आई. कुल मिलाजुला कर जितना अच्छा अनुभव शुरुआत में बीएचयू में था वो उतना ही बुरा हो गया. मैंने उसी दिन एक सरकारी अस्पताल में भी अपना सैंपल दिया था जिसकी रिपोर्ट कभी नहीं आई, पता करने पर हमेशा बोला गया की लोड बहुत ज्यादा है इस वजह से रिपोर्ट नहीं आ रही है.

रिपोर्ट लेट होने का कितना घातक परिणाम हो सकता है इस बात का अंदाज़ भी लगा पाना मुश्किल है. यदि कोई टेस्ट करवाता है और उसकी रिपोर्ट 2-3 दिन बाद आती है तो उस बीच में वो कई लोगों को इन्फेक्शन फैला सकता है या बीमारी का पता न चल पाने की स्थिति में हालत और ख़राब हो सकती है. कुल मिलाजुला कर आज की परिस्थिति को देखते हुए किसी प्राइवेट लैब में ही टेस्ट करवा लेना बेहतर है, कम से कम वो रिपोर्ट तो सही समय से देंगे. बस अंतर इतना है की सरकारी अस्पतालों में ये जांच फ्री है और प्राइवेट लैब में 900 रूपये का खर्च है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है की यदि पैसा है तो वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्राइवेट लैब में ही जांच करवा लेनी चाहिए ताकि सही समय से ईलाज तो शुरू हो सके.

कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव होने तक के मेरे अनुभव से मैं अब ये जरूर कह सकता हूँ की यदि बनारस में कहीं टेस्ट कोविड का टेस्ट करवाना है या तो बीएचयू में करवाना चाहिए या फिर किसी अच्छे प्राइवेट लैब में. यदि कोई स्वास्थ सम्बंधित कोई ख़ास दिक्कत नहीं आ रही है तो बीएचयू में जा सकते हैं लेकिन यदि जरा भी दिक्कत परेशानी हो तो बिना समय व्यर्थ किये किसी प्राइवेट लैब में जांच करवा कर तुरंत डॉक्टर के निर्देशन में अपना ईलाज शुरू कर देना चाहिए. लेकिन मुझे ये भी मालूम है की हर किसी के बस की बात नहीं है की वो 900 रूपये लगवा कर टेस्ट करवा पायेगा इसलिए अंतिम उम्मीद तो सरकारी व्यवस्थाओं से ही बनती है और मुझे उम्मीद है की आने वाले समय में सरकारी व्यवस्था और दुरुस्त होगी जिससे ज्यादा से ज्यादा आम लोग अपना टेस्ट करवा सकें और इस वैश्विक महामारी से लड़ने में आगे आ सकें.

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